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सुरु होणार जानकी व ऋषिकेशची प्रेम कहाणी 'घरोघरी मातीच्या चुली' Gharo ghari matichya chuli today's episode

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  सुरु होणार जानकी व ऋषिकेशची प्रेम कहाणी 'घरोघरी मातीच्या चुली' Gharo ghari matichya chuli today's episode  घरोघरी मातीच्या चुली या मालिकेच्या आजच्या भागामध्ये आपण पाहणार आहोत ,जानकी ही फुगे फोडत बसलेली असते आणि तेव्हा सारंग  हा त्या ठिकाणी ऋषिकेश कडे जातो ऋषिकेशला बोलतो  दादा माझा नंबर कधी येणार आहे ती मुलगी कधीपासून फुगे फोडत बसली आहे, तेव्हा ऋषीकेश सारंगला बोलतो नंबर येत नसतो तर तो आणावा लागतो आणि तो आपल्या जवळची बंदूक घेऊन जानकीच्या  समोर लावलेले फुगे फोडतो तेव्हा जानकीला अतिशय राग येतो आणि ती  रागाने पाठीमागून वळून   पाहते आणि ऋषिकेश ला विचारते  तुम्ही ही फुगे का फोडले तेव्हा ऋषिकेश तिला उत्तर देतो तुम्ही केव्हापासून प्रयत्न करत आहात फक्त मी तुमची मदत केली आणि त्यावेळेस त्यास फुगे स्टॉलचा मालखा ऋषिकेशला बक्षीस देतो आणि बोलतो हे घ्या तुमचे बक्षीस आणि ऋषिकेश  ते बक्षीस घेऊन जानकीला बोलते हे बक्षीस तुम्ही ठेवा तेव्हा जानकीला राग येतो आणि जानकी ही ते बक्षीस फेकून देते आणि त्यावेळेस आपण पाहतो त्या ठिकाणी मास्क घेतलेला एक व्यक्ति येतो आण...

उदगीर फोर्ट उदगीर ,लातूर महाराष्ट्र Udgir Fort Udgir Latur, Maharashtra

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उदगीर फोर्ट उदगीर ,लातूर महाराष्ट्र  Udgir Fort Udgir Latur, Maharashtra महाराष्ट्र के मराठवाड़ा रेगन का देश के इतिहास में काफी सारा योगदान रहा है इस क्षेत्र पर कई सारे राजा महाराजाओं ने राज्य किया और उनके  इतिहास के साक्ष देने वाले कई सारे महत्वपूर्ण और भव्य किले पर्यटकों के मन  में भारत के वैभवशाली इतिहास की याद दिलाते है। इस वीडियो में हम सफर करने वाले है एक ऐसे ही महत्वपूर्ण किले की जिसका नाम है उदगीर का किला महाराष्ट्र के लातूर जिले के उदगीर तहसील में इस किले का निर्माण चालुक्य राजाओ ने  सं १३४७ में  किया था।  लेकिन इसको असली पहचान मिली बहमनी राजयो के समय बहमनी साम्राज्य का विघटन के बाद ये किला बीदर के सुल्तान के कब्जे में गया बाद में १७३६ में मुघलोंने इसपर कब्ज़ा किया बाद में हैदराबाद के निजाम ने इसे अपने हुकूमत से जोड़ दिया। ३ फेब्रुवारी १७६० में मराठो ने प्रसिद्द उदगीर की लढाई में हैदराबाद के निजाम को बुरी तरह से पराजित करके उदगीर  किले पर अपना नियंत्रण हासिल किया और कहा जाता है की ये मराठो की आखरी बड़ी जीत थी इसके बाद मराठाओ की सेना  पानी...

तख़्त सचखंड श्री हुजूर साहिब नांदेड़ SHRI HUJUR SAHIB NANDED ਤਖ਼ਤ ਸੱਚਖੰਡ ਸ਼੍ਰੀ ਹੁਜ਼ੂਰ ਸਾਹਿਬ ਨੰਦੇੜ

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तख़्त सचखंड श्री हुजूर साहिब  नांदेड़ SHRI HUJUR SAHIB NANDED ਤਖ਼ਤ ਸੱਚਖੰਡ ਸ਼੍ਰੀ ਹੁਜ਼ੂਰ ਸਾਹਿਬ ਨੰਦੇੜ महाराष्ट्र के नांदेड़ में है तख्त सचखंड श्री हुजूर साहिब। यह गुरुद्वारा सिख धर्मों के पांच तख्तों में से एक है। यहां सिक्खों के दसवें गुरु, गुरु गोबिंद सिंह जी ने अपना आखिरी समय बिताया था। गुरुद्वारे का निर्माण बिल्कुल उसी स्थान पर किया गया, जहां गुरु गोबिंद सिंह जी ने आखिरी बार दर्शन दिए थे। गुरुद्वारे के भीतरी कक्ष को 'अंगीठा साहिब' कहा जाता है। इसका निर्माण उस स्थान पर किया गया, जहां सन 1708 में गुरु गोबिंद सिंह जी आखिरी बार विद्यमान थे। गुरुद्वारे का निर्माण सन 1832 से 1837 के बीच पंजाब के महाराजा रणजीत सिंह के आदेश पर किया गया था। गुरु गोबिंद सिंह जी की यह अभिलाषा थी कि उनके परलोक चलाणा के बाद संतोख सिंह जी (जो उस समय सामुदायिक रसोईघर की देख-रेख करते थे) नांदेड़ में ही रहें और गुरु के लंगर को निरंतर चलाएं। गुरु साहिब ने कहा था कि बाकी संगत चाहे तो पंजाब वापिस जा सकती है लेकिन गुरु जी के प्रेम और बलिदान को देखते हुए संगत ने वापिस पंजाब जाने से मना कर दिया और नांदेड़ मे...