लताने रणदिवेंच्या घरामध्ये पार्वती बनून केला प्रवेश 'घरोघरी मातीच्या चुली' Gharoghari matichya chuli todays episode

 लताने  रणदिवेंच्या घरामध्ये पार्वती बनून केला प्रवेश 'घरोघरी मातीच्या चुली' Gharoghari matichya chuli today's episode घरोघरी मातीच्या चुली या मालिकेच्या पुढील भागांमध्ये आपण पाहणार आहोत लता ही ऐश्वर्या आणि सारंग ओरडून बोलते मला माहित आहे हे शूटिंग वगैरे काही नाही तुम्ही मला खऱ्या आयुष्यामध्ये करायला लावत आहात आता मला सांगा तुम्ही काय करत आहात तेव्हा ऐश्वर्याही विचारतो की ही घाबरतात इकडे आपण पाहतो जानकी ही नानाला बोलते नाना उद्या पार्वती आईचा श्राद्ध आहे आणि आज भाग आणि या जंगलामध्ये हिरव्या बांगड्या आहेत मला शिकून झाल्यासारखे वाटत आहे तेव्हा ना बोलतात ज्यांच्या काही समज करून घेऊ नको हा एक योगायोग आहे असे काहीच नसते त्यामुळे जानकी बोलते मला तर नाना पुढच्या येणाऱ्या संकटाची चाहूल दिसत आहे तेव्हा नाना सुमित्रा ऋषिकेश सर्वजण हे मंदिरामध्ये पूजा करण्यासाठी केलेले असतात आणि ऋषिकेश कोंडा मध्ये पूजा करायला जातो त्यावेळेस त्या महिला त्या कुंडामध्ये एक महिला पडते आणि ऋषिकेश आतील वाचवला जातो व तिला उचलून बाहेर घेऊन येतो तेव्हा मला विचारतात तू कोण आहेस तेव्हा ती महिला बोलते मी पार्वत...

DEEKSHABHUMI ,NAGPUR MAHARASHTRA दीक्षा भूमि नागपूर महाराष्ट्र.

 दीक्षा भूमि नागपूर महाराष्ट्र DEEKSHABHUMI NAGPUR MAHARASHTRA




नागपूर महाराष्ट्र कि उपराजधानी होणे के साथ साथ भारत का महत्व पूर्ण शहर भी  हैं। नागपूर  भौगोलिक दृष्टी से देखा जाय तो देश के बिचोबीच बसा हैं।   नागपुर शहर में  एक ऐसी घटना हुवी जिसने भारत के सांस्कृतिक और धार्मिक इतिहास को बदलकर रख दिया हैं। ये घटना नागपुर में १४  अक्टूबर १९५६ को हुवी जब भारतीय संविधान के निर्माता और भारत में सामाजिक समता के आंदोलन को आखरी मकान तक पोहचाने वाले डॉ बाबासाहेब भीमराव आंबेडकर ने यंहा पर आपने ६ लाख अनुयायी के साथ हिंदू धर्म को छोड़कर समता की बुनियाद पर बने बौद्ध धर्म में प्रवेश किया। 

 जिस जगह पर उन्होने बौद्ध धर्म में प्रवेश किया था उसी जगह  पर एक भव्य स्तूप का निर्माण करवाया  जिसे देखने लिखे हर साल लाखो की तादात में लोग नागपुर है। 

ईस इस विशाल  गुम्बटकार ईमारत को दीक्षा भूमि के नाम से जाना जाता हैं।  दीक्षा भूमि का निर्माण साँची के स्तूप से प्रेरित होकर बनाया है लेकिन आकार को देखे तो दीक्षा भूमि का स्तूप साँची के स्तूप से बड़ा हैं। दीक्षा भूमि २२ एकर के एरिया में फैली हैं, ये गुम्बट अपनी तरह की एशिया की  पहिली ईमारत है जो की सेंट्रल ब्लॉक लॉक सिस्टम में बनी है।  ये स्तूप कुल १२० फ़ीट ऊँचा है और डिओमेटेर में १२० फ़ीट है और एक समय इस के अंदर ५००० से ज्यादा लोग एकसाथ बैठ सकते हैं,ये स्तूप कुल २४ खंभो पर टिका हैं। ईसके प्रमुख वास्तुकार थे शो दान मल इनके नेतृत्व में इस स्तूप निर्माण कार्य साल १९७८ शुरू हुवा था और साल २००१ में ईसका काम पूरा हुवा,याने इसे बनाने में कुल २२ साल का वक़्त लगा।

दीक्षा भूमि के अंदर एक संगेमरमर  के स्तूपा की प्रतिकृति  के आदर एक चांदी  के बर्तन में बाबासाहेब आंबेडकर की पवित्र अस्थिया रखी गयी हैं। स्तूप को चार मुख्य प्रवेशद्धार है जो साँची स्तूप से प्रेरित हैं जिसके ऊपर हिरन  हाथी,धम्मचक्रा ,शेर अदि की आकृतिया बनाई गई हैं। स्तूपा के प्रेमिसेस में कॉलेज  और स्पोर्ट आकडमी भी है। पूर्वी दिशा में एक विशाल बोधिवृक्ष यंहा की शोभा बड़ा रहा हैं, साथ ही यंहा पर भिक्कु निवास और भारत के संविधान का प्रस्तावना भी बनाई गए हैं।  

हर साल विजयादशमी के दिन दीक्षा भूमि पर १५ से २० लाख लोग यंहा पर इक्कठा होते है।  इसी कारण स्तूप के पश्चिमी दिशा का मैदान खाली रखा जाता है। दीक्षा भूमि को देखने को हर साल देश विदेशो से पर्यटक और श्रद्धालु यंहा पर आते हैं जिनमे राजनेता,अभिनेता खिलाडी भी शामिल होते हैं। 

 कैसे पहुंचे ?

 नागपुर देश का महत्पूर्ण शहर है जो देश के सभी बड़े शहरो से हवाई रोड और रेलवे यातायात से अच्छी तरह से जुड़ा है। 

 कंहा पर ठहरे ?

 नागपुर में २ सितारा होटल से ५ सितारा होटल है, अच्छा होटल बुक करने के लिए निचे दिए गए लिंक पर जाकर आप अपना है बुक कर सकते हो। 


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