लताने रणदिवेंच्या घरामध्ये पार्वती बनून केला प्रवेश 'घरोघरी मातीच्या चुली' Gharoghari matichya chuli todays episode

 लताने  रणदिवेंच्या घरामध्ये पार्वती बनून केला प्रवेश 'घरोघरी मातीच्या चुली' Gharoghari matichya chuli today's episode घरोघरी मातीच्या चुली या मालिकेच्या पुढील भागांमध्ये आपण पाहणार आहोत लता ही ऐश्वर्या आणि सारंग ओरडून बोलते मला माहित आहे हे शूटिंग वगैरे काही नाही तुम्ही मला खऱ्या आयुष्यामध्ये करायला लावत आहात आता मला सांगा तुम्ही काय करत आहात तेव्हा ऐश्वर्याही विचारतो की ही घाबरतात इकडे आपण पाहतो जानकी ही नानाला बोलते नाना उद्या पार्वती आईचा श्राद्ध आहे आणि आज भाग आणि या जंगलामध्ये हिरव्या बांगड्या आहेत मला शिकून झाल्यासारखे वाटत आहे तेव्हा ना बोलतात ज्यांच्या काही समज करून घेऊ नको हा एक योगायोग आहे असे काहीच नसते त्यामुळे जानकी बोलते मला तर नाना पुढच्या येणाऱ्या संकटाची चाहूल दिसत आहे तेव्हा नाना सुमित्रा ऋषिकेश सर्वजण हे मंदिरामध्ये पूजा करण्यासाठी केलेले असतात आणि ऋषिकेश कोंडा मध्ये पूजा करायला जातो त्यावेळेस त्या महिला त्या कुंडामध्ये एक महिला पडते आणि ऋषिकेश आतील वाचवला जातो व तिला उचलून बाहेर घेऊन येतो तेव्हा मला विचारतात तू कोण आहेस तेव्हा ती महिला बोलते मी पार्वत...

सोमनाथ प्रथम ज्योतर्लिंग सौराष्ट्र ,गुजरात SOMNATH FIRST JYOTIRLINGA SOURASHTRA GUJRAT

सोमनाथ प्रथम ज्योतर्लिंग सौराष्ट्र ,गुजरात SOMNATH FIRST JYOTIRLINGA SOURASHTRA GUJRAT.


सोमनाथ भारत के पवित्र १२ ज्योतिर्लिंगों में से प्रथम क्रमांक का ज्योतर्लिंग है, सोमनाथ गुजरात के सौराष्ट्र में अरब सागर के किनारे बसा है । अपने धार्मिक महत्त्व और प्राकृतिक आवास के कारण  हर साल लाखों  भाविक भगवान सोमनाथ का आशीर्वाद लेने यँहा आते हैं। सोमनाथ मंदिर के  निर्माण का इतिहास बहुद बड़ा है,ईस मंदिर को इतिहास में कई बार तोडा और बनाया गया। इतिहास में मोहम्मद गझनी,अल्लाउद्दीन खिलजी,मोहम्मद बेगड़ा,औरंगजेब ने इस मंदिर की लूट एंव नाश किया था लेकिन हर बार ईस  मंदिर का निर्माण करवाया गया। सबसे प्रथम  वल्लभी के यादवो ने साल ६६९ में इस सोमनाथ मंदिर का निर्माण किया था। 


सर्वप्रथम ७२५ में ईस मंदिर को क्षति पोहचने का जिक्र भारत के इतिहास में मिलता है और आखरी बार औरंगजेब ने १७०१  में ईस मंदिर को पुरी तरह से नष्ट करके वंहा पर मस्जिद भी बनायीं थी, बाद में मस्जिद को स्थलांतरित करके  वर्तमान मंदिर का निर्माण १९५१ में जूनागढ़ रियासद का भारत में विलीन होने के बाद किया गया है। वर्तमान मंदिर का निर्माण कार्य सरदार वल्लभभाई पटेल के नेतृत्व में १९४७ में शुरू हुवा था और १९५१ मुंशी के नेतृत्व में पूरा हुवा ईस मंदिर के निर्माण जनता से चंदा जमा करके किया था। 


सोमनाथ पहुंचने के लिए अहमदाबाद से प्रतिदिन रैल गाड़ीया चलती है सोमनाथ एक प्रमुख रेलवे स्थानक् हैं या फिर वेरवाल स्थानक जो की सोमनाथ मंदिर से केवल ५ किमी दूर हैं, यंहा से देश के प्रमुख शहरो के लिए रेलवे आसानी से मिलेगी। जूनागढ़ राजकोट,पोरबंदर अहमदाबाद से गुजरात स्टेट ट्रांसपोर्ट की बसेस प्रतिदिन सोमनाथ के लिए  चलती है। यंहा पर आने वाले यात्रियों को सोमनाथ ट्रस्ट द्वारा रहने की भी सुविधा मोहय्या कराई जाती हैं  जिसके  लिए ऑनलाइन बुकिंग की भी व्यवस्था मौजुद  हैं। 




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