सुरु होणार जानकी व ऋषिकेशची प्रेम कहाणी 'घरोघरी मातीच्या चुली' Gharo ghari matichya chuli today's episode

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  सुरु होणार जानकी व ऋषिकेशची प्रेम कहाणी 'घरोघरी मातीच्या चुली' Gharo ghari matichya chuli today's episode  घरोघरी मातीच्या चुली या मालिकेच्या आजच्या भागामध्ये आपण पाहणार आहोत ,जानकी ही फुगे फोडत बसलेली असते आणि तेव्हा सारंग  हा त्या ठिकाणी ऋषिकेश कडे जातो ऋषिकेशला बोलतो  दादा माझा नंबर कधी येणार आहे ती मुलगी कधीपासून फुगे फोडत बसली आहे, तेव्हा ऋषीकेश सारंगला बोलतो नंबर येत नसतो तर तो आणावा लागतो आणि तो आपल्या जवळची बंदूक घेऊन जानकीच्या  समोर लावलेले फुगे फोडतो तेव्हा जानकीला अतिशय राग येतो आणि ती  रागाने पाठीमागून वळून   पाहते आणि ऋषिकेश ला विचारते  तुम्ही ही फुगे का फोडले तेव्हा ऋषिकेश तिला उत्तर देतो तुम्ही केव्हापासून प्रयत्न करत आहात फक्त मी तुमची मदत केली आणि त्यावेळेस त्यास फुगे स्टॉलचा मालखा ऋषिकेशला बक्षीस देतो आणि बोलतो हे घ्या तुमचे बक्षीस आणि ऋषिकेश  ते बक्षीस घेऊन जानकीला बोलते हे बक्षीस तुम्ही ठेवा तेव्हा जानकीला राग येतो आणि जानकी ही ते बक्षीस फेकून देते आणि त्यावेळेस आपण पाहतो त्या ठिकाणी मास्क घेतलेला एक व्यक्ति येतो आण...

कामख्या मंदिर गुवाहाटी असम KAMAKHYA TEMPLE GUVAHATI ASSAM

 कामख्या मंदिर ,गुवाहाटी, असम KAMAKHYA TEMPLE GUVAHATI ASSAM



 पुरे देश में माता पार्वती के ५१ शक्तिपीठे है इनमेसे कुछ प्रमुख विशेष महत्त्वपूर्ण और रहस्यमय  हैं ,इनमे से माता कामख्या एक हैं कामख्या मंदिर असम की राजधानी गुवाहाटी में ब्रम्हपुत्र नदी के किनारे स्थित हैं जो की मुख्य शहर से ९ किमी दूर हैं। 

जिस पहाड़ी पर कामख्या मंदिर मौजूद है, उसे नीलांचल या ब्लू हिल के नाम से जाना जाता है। वर्तमान कामख्या मंदिर,जिसे १५६५ ईस्वी में ११ वीं १२ वीं शताब्दी के पुराने  पत्थर के मंदिर के खंडहरों का उपयोग करके  दो अलग-अलग शैलियों के संयोजन से पुनर्निर्माण किया गया था। कामाख्या मंदिर पारंपरिक नगाड़ा याने  उत्तर भारतीय और सारसेनिक याने  मुगल शैली का अनूठा मिक्सचर हैं। इस अनोखे संयोजन शैलियों को अब नीलांचल स्टाइल ऑफ आर्किटेक्चर का नाम दिया गया है , आसाम एंव उत्तर भारत में कई  सारे मंदिर इस शैली में बनाये गए हैं ।  

प्रचलित कथा के अनुसार देवी सती ने भगवान शिव से शादी की. इस शादी से सती के पिता राजा दक्ष खुश नहीं थे. एक बार राजा दक्ष ने एक यज्ञ का आयोजन किया लेकिन इसमें सती  के पति भगवान शिव को नहीं बुलाया. सती इस बात से नाराज़ हुईं और बिना बुलाए अपने पिता के घर पहुंच गई. इस बात पर राजा दक्ष ने उनका और उनके पति का बहुत अपमान किया सती से अपने पति का अपमान उनसे सहा नहीं गया और वो हवन कुंड में कूद गई। 

इस बात का पता चलते ही भगवान शिव भी यज्ञ में पहुंचे और सती का शव लेकर तांडव करने लगे, उन्हें रोकने के लिए भगवान विष्णु ने सुदर्शन चक्र फेका चक्र से सती का शव 51 हिस्सों में कटकर जगह-जगह गिरा. इसमें सती की योनि और गर्भ इसी कामाख्या मंदिर के स्थान यानी निलाचंल पर्वत पर गिरा. इस स्थान पर 16 वीं सदी में बिहार के राजा कोच  नारायण ने मंदिर बनाया। 

पौराणिक कथानुसार कामदेव ने अपना खोया हुवा रूप पाने के लिए भगवान् शिव जी के कहने पर  इस जगह पर माँ पार्वती को प्रसन्न करने के लिए तपस्या की माँ ने कामदेव पर प्रसन्न  होकर कामदेव को अपना मूल रूप फिर से बहाल कर दिया और तबसे से यंहा के माँ पार्वती के रूप को कामाख्या के नाम से जाना है। 

इस मंदिर में कोई भी मूर्ति नहीं है. यहां सिर्फ योनि रूप में बनी एक समतल चट्टान को पूजा जाता हैं. मूर्तियां साथ में बने एक मंदिर में स्थापित की गई हैं. इस मंदिर में पशुओं की बली भी दी जाती है। 

इस मंदिर में हर साल अंबुवाची मेले का आयोजन किया जाता है,इस मेले में देशभर के तांत्रिक हिस्सा लेने आते हैं. ऐसी मान्यता है कि इन तीन दिनों में माता सती रजस्वला होती हैं और जल कुंड में पानी की जगह रक्त बहता है।  इन तीन दिनों के लिए मंदिर के दरवाजे बंद रहते हैं. तीन दिनों के बाद बड़ी धूमधाम से इन्हें खोला जाता है। हर साल मेले के दौरान मौजूद ब्रह्मपुत्र नदी का पानी लाल हो जाता है. ऐसा माना जाता है कि ये पानी माता के रजस्वला होने का कारण होता है। 

इतना ही नहीं यहां दिया जाने वाले वाला प्रसाद भी रक्त में डूबा कपड़ा होता है. ऐसा कहा जाता है कि तीन दिन जब मंदिर के दरवाजे बंद किए जाते हैं तब मंदिर में एक सफेद रंग का कपड़ा बिछाया जाता है जो मंदिर के पट खोलने तक लाल हो जाता है। 

विश्वास ना रखने वाले लोगों का मानना है कि इस मंदिर के पास मौजूद नदी का पानी मंदिर में मेले में चढ़ाए गए सिंदूर के कारण होता है. या फिर यह रक्त पशुओं का रक्त होता है, जिनकी यहां बलि दी जाती है।

गुवाहाटी देश के प्रमुख शहरो में से एक और आसाम राज्य की राजधानी देश के अन्य शहरो से हवाई ,रेल तथा सड़क मार्ग से जुड़ा हैं। 

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